Sunday, December 9, 2012

देखा था गिरगिट को कभी



देखा था गिरगिट को कभी रंग बदलते हुए ।
ना देखा था नेताओं को यूं  पल-पल बदलते हुए ॥
बडे बडे नेता हुए है अपने भारत देश में,
कैसे देख पाएंगे वो देश को फ़िसलते हुए ॥
कभी अपनी बात पर कायम नही रह पाते,
लाज़ ना आती इनको जनता में चलते हुए ॥
कल तक माया-मुलायम थे एफ़डीआई के विरोधी,
आज देखा इनको कांग्रेस के साथ चलते हुए ।
आने दो चुनाव का मौसम इक बार,
देखेंगे ये नेता फ़िर, खुद को हाथ मलते हुए ॥

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