रुपये की लगातार घटती कीमतों से सरकार बहुत चिंतित है । अभी 2-3 दिन पहले खबर आई थी कि अगर रुपयें की कीमत इसी तरह लगातार गिरती रही तो सरकार को ईंधन के दाम में बढोत्तरी करनी पडेगी । ये अंदेशा तो हमें पहले से ही था कि सरकार महंगाई की मार झेल रही जनता को और अधिक त्रस्त करने वाली है एवं सरकार का अगला कदम होगा पेट्रोल की कीमत में बढ़ोतरी । लेकिन बढ़ोतरी साढे सात रुपये की हो जाएगी ये हमारी कल्पना में भी नही था । यह तो सर्वविदित है कि रुपए की कीमतें गिरने से तेल कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है । लेकिन उसका बोझ आम जनता पर डालने का क्या औचित्य है ? क्या सिर्फ़ तेल की कंपनियो को नुकसान से बचाने के लिए आम जन की कमर तोड दी जाए ?क्या वर्तमान सरकार अभी भी आम आदमी के साथ होने का दंभ भर रही है ?
सरकार के इस कदम की लगभग सभी राजनीतिक दलों ने एक स्वर में निंदा की है और कहा है कि सरकार को पेट्रोल की कीमत मे बढ़ोतरी को वापस ले लेना चाहिये । अब देखना ये है कि सरकार का अगला कदम क्या होगा ? क्या कीमतो मे हुई इस अप्र्त्याशित बढ़ोतरी को सरकार वापस लेकर आम जनता की सहानुभूति की पात्र बनेगी ? या फिर सिर्फ़ दिखावे के लिये कीमतों मे नाममात्र की ही कमी की ज़ायेगी ।