टीम अन्ना के राजनीति मे प्रवेश करने के निर्णय को सभी समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया है, परंतु ज्यादातर पत्रों मे इस खबर को नकारात्मक दृष्टिकोण के साथ दिखाया गया है । मीडिया का कर्तव्य होता है सच्चाई को जनता तक पहुचाना, ना कि खबरों को तोड-मरोड कर पेश करना । सरकार के ध्यान ना देने के कारण अन्ना हजारे जी ने राजनीति मे आने का ऐलान किया । अब अन्ना जी के पास यही एकमात्र विकल्प शेष है । जब हमारी गूंगी-बहरी सरकार ना कुछ देखने को तैयार है, ना कुछ सुनने को तैयार है, जब नौ दिन के अनशन के बाद भी सरकार की ओर से वार्ता करन्र के लिए कोई पहल नही हुई, तब अन्ना जी के पास क्या विकल्प बचता । पुलिस ने तो यहां तक कह दिया कि अगर अनशन स्थल पर किसी सदस्य के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है , तो उसके लिए आयोजक ही जिम्मेदार होंगे । सरकार की ज्यादती के सामने जान देने से तो अच्छा है कि उसके खिलाफ़ लडा जाए । अन्ना जी का राजनीति मे उतरने का फ़ैसला पूर्ण रूप से उचित और जनसमर्थित है । वैसे भी ज्यादातर नेता गाहे-बगाहे कहते ही रहे है कि अन्ना को राजनीति मे आना चाहिए । हो सकता है कि अब उन्ही नेताओ को अन्ना जी के इस फ़ैसले से परेशानी हो रही हो ।