Wednesday, June 13, 2012

हडताल का तरीका




        किसी भी कार्य को अच्छे या बुरे, कानूनी या गैरकानूनी, संवैधानिक या असंवैधानिक  दोनो ही प्रकार से किया जा सकता है, वो कार्य चाहे जो भी हो । अब आप हडताल को ही ले ले । भारत मे आए दिन हडताल होती रहती है । सबसे ज्यादा जो हडताल सुनने मे आती है वो होती है मजदूरों की । मजदूरों की हडताल से सबसे ज्यादा प्रभावित भी गरीब तबके के लोग ही होते है । कभी- कभी तो मजदूरों को ना चाहते हुए भी हडताल का हिस्सा बनना पडता है और फ़ायदा होता है मजदूर संघ के नेताओ का । ज्यादातर  ये नेता लोग ही अपने फ़ायदे के लिए ही मजदूरों को हडताल पर जाने के लिए उकसाते है । 
हमारे देश के लोग विदेशियों की नकल करने मे बहुत ही आगे रहते है, लेकिन सिर्फ़ बुरी बातों की, बुरी आदतों की नकल । यहां तक कि अगर हमारे नेता भी कोई गलत काम करते है तो विदेशियों का उदाहरण देते है । ऐसा नही है कि विदेशों मे हडताल नही होती । हडताल  वहां भी होती है, लेकिन उसका तरीका यहां से भित्र होता है । हडताल  का उद्देश्य होता है अपना विरोध प्रकट करना । विदेशों मे लोग अपना विरोध प्रकट करने के लिए सिर पर काला कपडा लगाकर काम पर आते है । ये एक शांतिपूर्ण , कानूनी एवं संवैधानिक तरीका है । लेकिन भारत मे क्या होता है ? हडताल  के नाम पर सबसे पहले तो काम बंद कर दिया जाता है । उसके बाद विभित्र प्रकार के गैरकानूनी कार्य ,मसलन बंद, सडक जाम आदि मजदूर संघ के नेताओ द्वारा कराए जाते है । ये तरीका किसी भी दृष्टिकोंण से उचित नही है । लेकिन एक तथ्य यह भी है कि अगर यहां पर लोग काला कपडा लगाकर या अन्य किसी शांतिपूर्वक तरीके से काम पर जाते हुए विरोध प्रदर्शित करेंगे, तो हमारा गूंगा-बहरा प्रशासन उनकी बात सुनेगा ही नही । अगर लोग काम कर रहे है, तो प्रशासन की नींद मे कोई खलल नही पडता । मेरा तो आप लोगो से यही आग्रह है कि लोगो हडताल के दौरान अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए कानूनी एवं शांतिपूर्ण तरीका अपनाना चाहिये । एवं साथ ही साथ प्रशासन को भी लोगो के हितों को ध्यान मे रखते हुए उचित कदम उठाना चाहिये । तभी मेरा भारत, हमारा भारत महान बन सकता है ।
        
        जय हिंद, जय भारत । 

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