किसी भी कार्य को अच्छे या बुरे, कानूनी या गैरकानूनी, संवैधानिक या असंवैधानिक दोनो ही प्रकार से किया जा सकता है, वो कार्य चाहे जो भी हो । अब आप हडताल को ही ले ले । भारत मे आए दिन हडताल होती रहती है । सबसे ज्यादा जो हडताल सुनने मे आती है वो होती है मजदूरों की । मजदूरों की हडताल से सबसे ज्यादा प्रभावित भी गरीब तबके के लोग ही होते है । कभी- कभी तो मजदूरों को ना चाहते हुए भी हडताल का हिस्सा बनना पडता है और फ़ायदा होता है मजदूर संघ के नेताओ का । ज्यादातर ये नेता लोग ही अपने फ़ायदे के लिए ही मजदूरों को हडताल पर जाने के लिए उकसाते है ।
हमारे देश के लोग विदेशियों की नकल करने मे बहुत ही आगे रहते है, लेकिन सिर्फ़ बुरी बातों की, बुरी आदतों की नकल । यहां तक कि अगर हमारे नेता भी कोई गलत काम करते है तो विदेशियों का उदाहरण देते है । ऐसा नही है कि विदेशों मे हडताल नही होती । हडताल वहां भी होती है, लेकिन उसका तरीका यहां से भित्र होता है । हडताल का उद्देश्य होता है अपना विरोध प्रकट करना । विदेशों मे लोग अपना विरोध प्रकट करने के लिए सिर पर काला कपडा लगाकर काम पर आते है । ये एक शांतिपूर्ण , कानूनी एवं संवैधानिक तरीका है । लेकिन भारत मे क्या होता है ? हडताल के नाम पर सबसे पहले तो काम बंद कर दिया जाता है । उसके बाद विभित्र प्रकार के गैरकानूनी कार्य ,मसलन बंद, सडक जाम आदि मजदूर संघ के नेताओ द्वारा कराए जाते है । ये तरीका किसी भी दृष्टिकोंण से उचित नही है । लेकिन एक तथ्य यह भी है कि अगर यहां पर लोग काला कपडा लगाकर या अन्य किसी शांतिपूर्वक तरीके से काम पर जाते हुए विरोध प्रदर्शित करेंगे, तो हमारा गूंगा-बहरा प्रशासन उनकी बात सुनेगा ही नही । अगर लोग काम कर रहे है, तो प्रशासन की नींद मे कोई खलल नही पडता । मेरा तो आप लोगो से यही आग्रह है कि लोगो हडताल के दौरान अपना विरोध प्रदर्शित करने के लिए कानूनी एवं शांतिपूर्ण तरीका अपनाना चाहिये । एवं साथ ही साथ प्रशासन को भी लोगो के हितों को ध्यान मे रखते हुए उचित कदम उठाना चाहिये । तभी मेरा भारत, हमारा भारत महान बन सकता है ।
जय हिंद, जय भारत ।
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